बिहार के Sand Artist Madhurendra Kumar ने रचा इतिहास – लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज, ब्रिटिश पार्लियामेंट में हुआ सम्मान

Sand Artist Madhurendra Kumar
Sand Artist Madhurendra Kumar

बिहार के लाल Sand Artist Madhurendra Kumar ने दुनिया में बजाया कला का डंका

भारत के लिए एक गर्व का क्षण तब आया जब बिहार के युवा Sand Artist Madhurendra Kumar ने अपनी कला के दम पर लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (London Book of World Records) में अपना नाम दर्ज करवाया। यह पहला अवसर है जब किसी भारतीय सैंड आर्टिस्ट को इस वैश्विक मंच पर इस स्तर का सम्मान मिला है।

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मधुरेंद्र को ब्रिटिश पार्लियामेंट, लंदन में एक विशेष समारोह के दौरान सम्मानित किया गया, जहां उन्होंने भारत और विशेष रूप से बिहार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

लंदन में मिला ऐतिहासिक सम्मान

लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अविनाश डी. सकुंडे और यूरोपीय संघ प्रमुख डॉ. इवान गैसीना ने संयुक्त रूप से मधुरेंद्र को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र और मेडल भेंट कर सम्मानित किया।

उनका नाम London Book of World Records की आधिकारिक प्रमाणन संख्या: LBOWRE401990 में दर्ज किया गया है, जो यह दर्शाता है कि मधुरेंद्र अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त सैंड आर्टिस्ट बन चुके हैं।

कला से समाज सेवा: सैंड और पत्तियों से संदेश

डॉ. अविनाश सकुंडे के अनुसार, मधुरेंद्र ने “सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए सैंड आर्ट और लीफ आर्ट” जैसे प्राकृतिक माध्यमों का प्रयोग कर एक रचनात्मक और प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उन्होंने सिर्फ कला नहीं रची, बल्कि सामाजिक संदेशों जैसे पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा जागरूकता, जल संरक्षण आदि विषयों को अपनी रचनाओं के ज़रिए जनता तक पहुँचाया

ग्लोबल सर्वे में टॉप रैंक

जून 2025 में London Book of World Records द्वारा किए गए एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में मधुरेंद्र कुमार को शामिल किया गया था। यह सर्वे 10 जून से 17 जून के बीच 12 से अधिक देशों में किया गया, जिसमें उन्हें 95% अप्रूवल रेटिंग मिली।

उन्होंने यूएसए, चाइना, यूएन, रूस, श्रीलंका और कनाडा जैसे बड़े देशों के कलाकारों को पीछे छोड़ते हुए लगभग 5000 कलात्मक रचनाओं के ज़रिए वैश्विक स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया।

यह रिकॉर्ड कला और समाज के बीच सेतु का कार्य करता है, जो यह दिखाता है कि कैसे भारतीय कलाकार सिर्फ पारंपरिक सौंदर्य नहीं, बल्कि समाजिक बदलाव के वाहक भी बन रहे हैं।

कौन हैं मधुरेंद्र कुमार?

  • उम्र: 31 वर्ष
  • मूल स्थान: बिहार, भारत
  • कला विधा: सैंड आर्ट (रेत कला) और लीफ आर्ट (पत्ती कला)
  • अनुभव: 5000+ रचनाएँ, जिनमें सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर आधारित कलाएं शामिल हैं।

मधुरेंद्र का मानना है कि:-“कला केवल देखने के लिए नहीं होती, वह सोचने और बदलने के लिए होती है।”

भारत और बिहार के लिए गर्व का क्षण

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद भारत के कोने-कोने से बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर राजनेताओं, शिक्षाविदों और कलाकारों ने उन्हें बधाई दी है। बिहार के लोगों के लिए यह पल और भी खास है, क्योंकि यह पहली बार है जब राज्य के किसी युवा कलाकार ने इस स्तर की वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।

निष्कर्ष

Sand Artist Madhurendra Kumar के ज़रिए जिस तरह उन्होंने भारत की मिट्टी को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका यह कारनामा यह साबित करता है कि कला की कोई सीमा नहीं होती, और अगर इरादे नेक हों, तो रेत से भी इतिहास लिखा जा सकता है।

यह सफलता सिर्फ मधुरेंद्र की नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की है जो अपने हुनर को पहचान दिलाने के लिए मेहनत करता है। ऐसे कलाकार भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं — और दिखाते हैं कि बिहार से भी एक ग्लोबल आर्टिस्ट उभर सकता है।

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