GST 2.0 सुधार और शराब पर टैक्स की असलियत – पूरा विश्लेषण

GST 2.0

GST 2.0 भारत में टैक्स सिस्टम को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए 2017 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू किया गया था। अब हाल ही में सरकार ने GST 2.0 सुधार की घोषणा की है, जिसके तहत कई बदलाव किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव तंबाकू उत्पादों पर देखने को मिला है, जहां सिगरेट, गुटखा और पान मसाला जैसे उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। लेकिन इसके बीच एक बड़ा सवाल लोगों के मन में है – जब सिगरेट पर इतना भारी टैक्स लगता है तो शराब पर GST क्यों नहीं लगाया जाता?

आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर शराब GST के दायरे से बाहर क्यों है और GST 2.0 सुधारों का असर किन क्षेत्रों पर पड़ा है।

GST 2.0 सुधार – क्या बदला है?

22 सितंबर 2025 से लागू होने वाले GST 2.0 सुधारों के तहत सरकार ने टैक्स स्ट्रक्चर को और मजबूत करने का प्रयास किया है। इसमें मुख्य रूप से तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर टैक्स दरों को बढ़ाया गया है।

  • पहले सिगरेट पर 28% GST लगता था।
  • अब इसे बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।
  • गुटखा, पान मसाला और अन्य तंबाकू उत्पाद भी इसी नई दर के अंतर्गत आएंगे।

सरकार का मानना है कि तंबाकू उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और इन पर भारी टैक्स लगाने से लोगों की खपत कम होगी और राजस्व भी बढ़ेगा।

आप यह भी पढ़ सकते हैं :-GST reform 2025: मोदी सरकार का $20 बिलियन आर्थिक सुधार पैकेज

New GST Rates List 2025: डेयरी प्रोडक्ट्स सस्ते, पनीर टैक्स-फ्री और चीज-बटर पर राहत

शराब पर GST क्यों नहीं लगता?

अब सवाल उठता है कि GST 2.0 सुधारों में जहां सिगरेट पर इतना टैक्स बढ़ा, वहीं शराब अब भी GST के दायरे से बाहर क्यों है?

असल में, शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। संविधान के अनुसार शराब पर केंद्र सरकार का GST लागू नहीं होता, बल्कि राज्यों की एक्साइज ड्यूटी और वैट व्यवस्था लागू रहती है।

मुख्य कारण:

  1. राज्य सरकारों की आय का बड़ा स्रोत – कई राज्यों की 20–30% तक टैक्स आय शराब से आने वाली एक्साइज ड्यूटी से होती है।
  2. संवैधानिक प्रावधान – जब GST लागू किया गया था, तब संविधान में स्पष्ट किया गया कि शराब को GST से बाहर रखा जाएगा।
  3. राजनीतिक और सामाजिक कारण – शराब पर टैक्स का नियंत्रण राज्यों के पास रखना ज्यादा व्यावहारिक माना गया।
  4. कौन-से उत्पाद GST में शामिल और कौन बाहर?

कौन-से उत्पाद GST में शामिल और कौन बाहर?

यहाँ एक टेबल दिया गया है जिसमें स्पष्ट है कि GST 2.0 में कौन से उत्पाद आते हैं और कौन अभी भी बाहर हैं:

उत्पाद श्रेणीGST लागू है?दर (GST 2.0 के अनुसार)नोट्स
सिगरेट / तंबाकू उत्पाद✅ हाँ40%पहले 28%, अब 40%
गुटखा / पान मसाला✅ हाँ40%स्वास्थ्य पर असर की वजह से भारी टैक्स
शराब❌ नहींलागू नहींराज्यों की एक्साइज ड्यूटी के अंतर्गत
पेट्रोल❌ नहींलागू नहींकेंद्र एक्साइज + राज्य वैट
डीजल❌ नहींलागू नहींकेंद्र एक्साइज + राज्य वैट
कच्चा तेल (Crude Oil)❌ नहींलागू नहींराज्य कर व्यवस्था
प्राकृतिक गैस❌ नहींलागू नहींGST से बाहर रखा गया
एटीएफ (विमानन ईंधन)❌ नहींलागू नहींहवाई जहाज ईंधन, राज्यों की कर नीति

पेट्रोलियम उत्पाद भी GST से बाहर

शराब ही नहीं, बल्कि कुछ अन्य उत्पाद भी GST के दायरे से बाहर हैं। इसमें शामिल हैं:

  • पेट्रोल
  • डीजल
  • कच्चा तेल (Crude Oil)
  • प्राकृतिक गैस
  • एटीएफ (विमानन ईंधन)

इन उत्पादों पर अभी भी केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार वैट लगाती है। इसका कारण भी वही है – अगर पेट्रोलियम उत्पादों को GST में लाया गया तो टैक्स दरें कम होने से सरकारों की आय पर असर पड़ेगा।

क्या शराब पर टैक्स कम है?

यह धारणा गलत है कि शराब पर कम टैक्स लगता है। वास्तव में, शराब पर कई राज्यों में भारी एक्साइज ड्यूटी लगती है।

  • कुछ राज्यों में शराब की कीमत का 60–70% हिस्सा सिर्फ टैक्स होता है।
  • हर राज्य अपनी नीतियों के अनुसार टैक्स दर तय करता है।
  • इसलिए शराब पर टैक्स का बोझ कम नहीं, बल्कि कई बार ज्यादा ही होता है।

फर्क सिर्फ इतना है कि यह टैक्स GST का हिस्सा नहीं है, बल्कि राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाता है।

GST 2.0 का बड़ा असर

GST 2.0 सुधार से सबसे ज्यादा असर तंबाकू उद्योग पर पड़ा है। सरकार को उम्मीद है कि:

  • टैक्स कलेक्शन में बड़ी बढ़ोतरी होगी।
  • तंबाकू उत्पादों की खपत कम होगी।
  • स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद मिलेगी।

वहीं शराब और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों को GST में शामिल न करने का कारण पूरी तरह राजस्व और संविधानिक प्रावधानों से जुड़ा है।

विशेषज्ञों की राय

कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में जब राज्यों की आय के नए स्रोत बन जाएंगे, तब शराब और पेट्रोलियम उत्पादों को भी धीरे-धीरे GST के दायरे में लाया जा सकता है। इससे टैक्स स्ट्रक्चर और भी सरल होगा। लेकिन फिलहाल यह संभव नहीं दिखता क्योंकि राज्य सरकारें इन उत्पादों से बड़ी कमाई करती हैं।

निष्कर्ष

GST 2.0 सुधार ने यह साफ कर दिया है कि सरकार स्वास्थ्य और राजस्व दोनों को ध्यान में रखकर टैक्स स्ट्रक्चर बना रही है। जहां तंबाकू उत्पादों पर 40% GST लगाकर इन्हें महंगा किया गया है, वहीं शराब को अभी भी GST से बाहर रखा गया है क्योंकि यह राज्यों की कमाई का अहम साधन है।

इसका सीधा मतलब यह है कि आने वाले समय में GST 2.0 टैक्स सिस्टम को और पारदर्शी बनाएगा, लेकिन शराब और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों पर फिलहाल GST लागू नहीं होगा।

LATEST POSTS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *