Miss Universe India 2025: 42 की उम्र में तसनीम रज़ा बनीं असली सेंसेशन

Miss Universe India 2025

भारत में सौंदर्य प्रतियोगिताओं का मंच हमेशा से ही नई कहानियाँ गढ़ता आया है। लेकिन इस बार Miss Universe India 2025 ने एक ऐसी प्रेरणादायक यात्रा को जन्म दिया है, जिसने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता, बल्कि यह साबित कर दिया कि उम्र और मातृत्व सपनों की राह में कभी रुकावट नहीं बनते।

42 साल की तसनीम रज़ा, जो दो बच्चों की मां हैं, इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता की सबसे उम्रदराज़ फाइनलिस्ट बनीं और अपने साहस, आत्मविश्वास व दृढ़ निश्चय से उन्होंने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।

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मां से मॉडल तक का सफर-Tasneem Raza kaun hai ?

तसनीम रज़ा का जन्म बेंगलुरु में हुआ और वर्तमान में वे दुबई में रहती हैं। उन्होंने मानविकी और सामाजिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की है। परिवार और मातृत्व की जिम्मेदारियों को निभाने के बाद उन्होंने मॉडलिंग की ओर कदम बढ़ाया।

उनका मानना है कि “मातृत्व किसी का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है।” यही सोच उन्हें इस मुकाम तक लाई। उन्होंने साबित किया कि मां बनने के बाद भी महिला अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं को फिर से जी सकती है।

Miss Universe India 2025: केवल सौंदर्य नहीं, आत्मविश्वास की परीक्षा

तसनीम का कहना है कि Miss Universe India 2025 सिर्फ़ ब्यूटी का मंच नहीं, बल्कि यह साहस, अनुशासन और आत्मविश्वास की असली परीक्षा है।

प्रीलिमिनरी राउंड से लेकर फिनाले तक का सफर उनके लिए चुनौतियों और आत्म-खोज से भरा रहा। लगातार ट्रेनिंग, कम नींद और कठिन रिहर्सल्स के बावजूद तसनीम ने कभी हार नहीं मानी। जहां कई प्रतियोगियों ने निजी कारणों और अनुबंध संबंधी मुश्किलों की वजह से प्रतियोगिता छोड़ दी, वहीं तसनीम हर दिन और भी मजबूती के साथ आगे बढ़ती गईं।

प्रीलिमिनरी राउंड का खास अनुभव

तसनीम के लिए प्रीलिमिनरी राउंड बेहद यादगार रहा। पहली बार उन्होंने स्विमसूट और ईवनिंग गाउन राउंड में मंच पर जलवा बिखेरा। उस पल को याद करते हुए उन्होंने कहा –
“उस समय मेरे दिल में सिर्फ़ कृतज्ञता थी—इस मंच तक पहुंचने की, इस मौके को जीने की और मां होते हुए भी खुद को साबित करने की।”

यहां उन्होंने साबित किया कि आत्मविश्वास और कृतज्ञता का संगम किसी भी मंच को रोशन कर सकता है।

“यहां मैं सिर्फ़ ‘मैं’ हूं”

तसनीम का सफर केवल किसी खिताब तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने कहा –
“यहां मैं सिर्फ़ पत्नी, मां या बेटी नहीं हूं… यहां मैं सिर्फ़ ‘मैं’ हूं और यही मेरी असली जीत है।”

उनके लिए यह मंच आत्म-खोज और महिला सशक्तिकरण का उत्सव बन गया। उन्होंने हर महिला को यह संदेश दिया कि उम्र या सामाजिक धारणाएँ आपके सपनों की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।

समाज की धारणाओं को चुनौती

42 साल की उम्र में फाइनलिस्ट बनना अपने आप में एक मिसाल है। तसनीम ने उन सभी धारणाओं को तोड़ा जो कहती हैं कि मॉडलिंग और ब्यूटी पेजेंट्स केवल युवाओं के लिए होते हैं।

उनकी यह उपलब्धि लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है। खासकर उन माताओं के लिए, जो यह सोचती हैं कि परिवार और जिम्मेदारियों के कारण अब उनके लिए अपने सपनों को पूरा करना संभव नहीं है।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल

तसनीम रज़ा की कहानी केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा है। उनकी यात्रा ने दिखाया कि महिला सशक्तिकरण का असली मतलब यही है – अपने लिए जीना, अपनी पहचान पाना और दुनिया को दिखाना कि महिलाएं किसी भी उम्र में किसी भी मुकाम तक पहुंच सकती हैं।

Miss Universe India 2025 का यह मंच उनके लिए केवल कॉम्पटीशन नहीं बल्कि आत्मबल, आत्मविश्वास और अनुशासन की परीक्षा बन गया।

निष्कर्ष

तसनीम रज़ा की यात्रा हमें यह सिखाती है कि सपनों की कोई उम्र नहीं होती। चाहे आप 20 के हों या 40 के, अगर आपके अंदर जुनून और आत्मविश्वास है, तो आप किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

Miss Universe India 2025 में तसनीम की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि यह प्रतियोगिता सिर्फ़ सुंदरता का मंच नहीं, बल्कि साहस और आत्म-खोज का उत्सव है। नतीजा चाहे जो भी हो, तसनीम की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

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